ETF TYPES AND INVESTING में हम जानेंगे ईटीएफ निवेश की संपूर्ण जानकारी।
वर्तमान में भारतीय निवेशकों में ETF निवेश धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रहा है। पहले निवेशक केवल म्यूचुअल फंड में निवेश करते थे, परंतु वर्तमान परिदृश्य में ETF भी निवेश का एक अच्छा विकल्प बनकर सामने आया है। आइए जानते हैं ETF TYPES AND INVESTING की विशेषताएँ। ताकि निवेशक अच्छे से समझकर अपना निवेश निर्णय ले सकें।
WHAT IS EFT?
ETF (एक्सचेंज ट्रेड फंड) एक प्रकार का म्यूचुअल फंड की तरह का निवेश फंड है। इसमें अलग-अलग कंपनियों के स्टॉक्स की एक टोकरी होती है, यानी कि जब आप एक ETF खरीदते हैं तो आप किसी एक कंपनी का स्टॉक नहीं खरीदकर अनेक कंपनियों के स्टॉक के हिस्से खरीदते हैं।
ETF एक स्टॉक्स (शेयर) की तरह एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं, अर्थात इनको भारतीय स्टॉक मार्केट में दिन में कितनी भी बार खरीदा या बेचा जा सकता है। इसके लिए आपके पास डिमेट अकाउंट होना चाहिए और बाकी सारी प्रक्रिया स्टॉक (शेयर) खरीदने-बेचने जैसी ही होती है। इस प्रकार यह एक निवेश उत्पाद है।
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETFs) ने भारत में 2002 में अपनी यात्रा शुरू की, जब निप्पोन इंडिया म्यूचुअल फंड (पूर्व में बेंचमार्क एसेट मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड) द्वारा पहला ETF निफ्टी 50 इंडेक्स पर लॉन्च किया गया। यह ETF 8 जनवरी 2002 को NSE पर सूचीबद्ध हुआ ।
TYPES OF ETF
भारत में ETF TYPES के मुख्य चार प्रकार हैं जो ETF फंड्स द्वारा निवेश की गई संपत्तियों के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं,इनके प्रकार और उदाहरण निम्नानुसार हैं:-
- EQUITY ETF :-जैसे Nifty BeES,NIFTY1,HDFCNITY etc.
- (COMMODITY) LIKE GOLD SILVER ETF:-LICMFGOLD,AXISGOLD,GOLDETFADD etc.
- WORLD INDICES ETF:-HANG SENG TECH TOTAL RETURN INDEX,NASDAQ100 ETF etc.
- DEBT ETF:-LIQUIDBEES,NIFTY BHARAT BOND,NIFTY AAA BOND PLUS SDL APR 2026 50:50 INDEX etc.
उपर बताए गए ETF के प्रकार ETF फंड्स की निवेशित संपत्तियों के आधार पर हैं, जैसे गोल्ड ETF, जो गोल्ड में निवेशित ETF को बताता है। परंतु इन मुख्य चार प्रकारों के अलावा इनके और प्रकार भी बताए जाते हैं, परंतु जितने भी प्रकार बताए जाते हैं, वे सब इन चार प्रकारों के अंदर ही समाहित हैं।
ETF निवेश और अन्य निवेश में तुलना।
ETF निवेश और म्यूचुअल फंड निवेश में तुलना,निवेशक म्यूचुअल फंड या ETF में निवेश करने से पहले निम्नानुसार दोनों की तुलना कर सकता है।
ETF | म्यूचुअल फंड्स |
---|---|
ETFs को एक्सचेंज पर सक्रिय रूप से खरीदा और बेचा जा सकता है, जैसे शेयर खरीद और बेच सकते हैं। | म्यूचुअल फंड सामान्यतः फंड हाउस से या अधिकृत मध्यस्थों के माध्यम से खरीद और बेच सकते हैं। |
ETF बाजार के घंटों के दौरान मौजूदा बाजार मूल्य पर। खरीद और बेच सकते हैं। | म्यूचुअल फंड का खरीदना-बेचना ETF के जैसा सरल नहीं है। |
ETFs के लिए कोई न्यूनतम लॉक-इन अवधि नहीं होती, जिससे निवेशक अपनी सुविधा से खरीद और बेच सकते हैं। | म्यूचुअल फंड लॉक-इन अवधि वाले और बिना लॉक-इन अवधि वाले हो सकते हैं। |
ETFs आमतौर पर पैसिवली प्रबंधित होते हैं। | म्यूचुअल फंड सक्रिय या पैसिव हो सकते हैं, उनके प्रकार और संरचना के आधार पर। |
ETF का खर्च अनुपात म्यूचुअल फंड की तुलना में कम होता है। | म्यूचुअल फंड का खर्च अनुपात ETF की तुलना में थोड़ा ज्यादा होता है। |
ETF की कीमत स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान अलग-अलग समय पर अलग-अलग होती है। | म्यूचुअल फंड की NAV की कीमत ट्रेडिंग दिन के अंत में निर्धारित होती है। |
यहाँ केवल ETF और म्यूचुअल फंड की तुलना मुख्य बिंदुओं के आधार पर की गई है क्योंकि ये दोनों निवेश फंड हैं।
नोट: ETF खरीदने-बेचने के लिए डिमेट अकाउंट होना आवश्यक है, परंतु म्यूचुअल फंड निवेश के लिए डिमेट अकाउंट होना आवश्यक नहीं है।
ETF के फायदे और नुकसान
(a)फायदे:-
- विविधता:-ETF में कई प्रकार की संपत्तियाँ होती हैं, जिससे निवेशक एक ही फंड के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में निवेश कर सकते हैं। यह जोखिम को कम करने में मदद करता है।
- कम खर्च:-ETF के प्रबंधन खर्च सामान्यत: म्यूचुअल फंड के मुकाबले कम होते हैं। इसमें कोई लोड फीस नहीं होती, जिससे निवेशकों को अधिक लाभ होता है।
- पारदर्शिता:-अधिकांश ETF अपने पोर्टफोलियो को रोजाना अपडेट करते हैं, जिससे निवेशकों को यह जानने में मदद मिलती है कि वे किस चीज़ में निवेश कर रहे हैं। अर्थात उनके निवेश का वास्तविक मूल्य उनके सामने होता है।
- तरलता:-म्यूचुअल फंड की तुलना में ETF को आसानी से नकद में परिवर्तित किया जा सकता है, जैसे ETF बेचने पर पैसा अगले दिन डिमेट अकाउंट में आ जाता है, जबकि म्यूचुअल फंड में 5-6 दिन का समय लगता है।
(b) नुकसान:-
- ETF निवेश के कुछ नुकसानों में लिक्विडिटी जोखिम शामिल है, क्योंकि कुछ ETFs की ट्रेडिंग मात्रा कम हो सकती है, जिससे उन्हें बाजार में बेचने में कठिनाई हो सकती है।
- इसके अलावा, ETFs भी बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होते हैं, जिससे निवेशकों को पूंजी हानि का सामना करना पड़ सकता है।
- हर बार ETF खरीदने या बेचने पर ब्रोकर शुल्क या लेनदेन शुल्क भी लग सकता है, जो कुल लागत को बढ़ा सकता है।
- पैसिवली प्रबंधित ETFs सूचकांक के प्रदर्शन को ही ट्रैक करते हैं, और यदि सूचकांक खराब प्रदर्शन करता है, तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है।
ETF निवेश में तरलता की समस्या का समाधान।
यदि आप ETF में निवेश करने का मन बना रहे हैं, तो आपको ये पता होना चाहिए कि ETF निवेश में तरलता की समस्या होती है, अर्थात ETF को खरीदने-बेचने में खरीदने या बेचने वालों की संख्या कम होने से आप आसानी से खरीद या बेच नहीं पाएंगे। इसे तरलता की समस्या कहते हैं। इस समस्या को सुलझाने में मेरा ये सुझाव आपके काम आ सकता है।
इसके लिए आपको पहले NSE इंडिया के इस लिंक पर क्लिक करना होगा।https://www.nseindia.com/market-data/exchange-traded-funds-etf
यहाँ पर आपको ETF की पूरी सूची खुल जाएगी। यहाँ आपको वॉल्यूम वाला फ़िल्टर दिखेगा, जिस पर आपको दो बार क्लिक करना है। अब आपके सामने सबसे ज्यादा वॉल्यूम वाले ETF आ जाएंगे, इनमें आप लिक्विडिटी के साथ निवेश कर सकते हैं।
ETF निवेश में कर के नियम। (TAXATION )
ETF निवेश में होने वाले लाभ पर कर की गणना अलग-अलग तरीके से की जाती है, जिसमें किस प्रकार के ETF TYPES से होने वाला लाभ भी एक कर गणना का आधार है। इसके अलावा, लाभांश आय पर अलग कर गणना की जाती है, इस प्रकार ETF निवेश के लाभ पर कर की दरें 10% से 35% तक हो सकती है।
निष्कर्ष: हमने ETF TYPES AND INVESTING कै इस लेख में जाना कि ETF क्या है, इनके ETF TYPES प्रकार कितने हैं और अन्य निवेश उत्पादों से ये किस प्रकार अलग हैं। साथ ही, हमने जाना कि इनमें निवेश के फायदे और नुकसान क्या हैं, और कर निर्धारण कैसे होता है। अगर आपको ये लेख पसंद आया, तो लाइक करना न भूलें और हमारे फेसबुक, ट्विटर पेज को फॉलो करें।
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