TYPES OF RETURN CALCULATION ON INVESTMENTS में जानते हैं,निवेश पर रिटर्न की विधियाँ उनकी गणनाऔर सबसे उपयुक्त विधि।
TYPES OF RETURN CALCULATION ON INVESTMENTS को जानने से पहले हमें भारतीय निवेशकों की निवेश मानसिकता को समझना आवश्यक है, क्योंकि कुछ निवेशक केवल निवेश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हैं जबकि कुछ निवेशक निवेश की सुरक्षा के साथ-साथ उसके रिटर्न का भी विश्लेषण करते हैं। इस प्रकार भारतीय निवेशकों को दो मुख्य प्रकारों में बांटा जा सकता है।
1. परंपरागत निवेशक:-
परंपरागत निवेशक वे होते हैं जो केवल फिक्स्ड रिटर्न वाली सेविंग स्कीम्स में निवेश करते हैं, जैसे FD (फिक्स्ड डिपॉज़िट), RD (रूपये जमा), किसान विकास पत्र और PPF (पब्लिक प्रोविडेंट फंड) अकाउंट। ये निवेशक किसी प्रकार का विश्लेषण नहीं करते।
अर्थात्, इन्हें रिटर्न की विधियों और गणना से कोई मतलब नहीं होता; इनका मुख्य ध्यान केवल निश्चित रिटर्न पर होता है। वे यह समझते हैं कि इतनी राशि कितने समय के लिए जमा करनी है और उस अवधि के बाद कितनी राशि प्राप्त होगी।
इन निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण यह होता है कि उनका निवेश सुरक्षित है और एक तय अवधि के बाद निश्चित रिटर्न मिलेगा, चाहे मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में कोई बदलाव आए या न आए।
2. आधुनिक निवेशक:-
आधुनिक निवेशक किसी भी स्कीम में निवेश करने से पहले उसमें शामिल जोखिम, जोखिम के अनुपात में मिलने वाले रिटर्न की गणना करते हैं और तब निवेश का निर्णय लेते हैं।
ये निवेशक केवल निवेश की जाने वाली राशि का पता रखते हैं, लेकिन मिलने वाले रिटर्न का सटीक पता नहीं होता; वे केवल अनुमान लगा पाते हैं। आधुनिक निवेशक विस्तृत विश्लेषण और रिसर्च के बाद ही निवेश करते हैं, जिससे उन्हें अपने निवेश पर संभावित रिटर्न और उससे जुड़े जोखिम का बेहतर लाभ मिल सके।
ये निवेशक बाजार की स्थितियों, स्कीम की प्रकृति, और संभावित रिटर्न को समझने के लिए विभिन्न तरीके अपनाते हैं।
(TYPES OF RETURN CALCUALTION ON INVESTMENTS)निवेश पर रिटर्न की गणना की मुख्य विधियाँ
- CAGR (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट):
- चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दरयह उस वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है जिस पर एक निवेश की राशि एक निश्चित समय अवधि में बढ़ती है, जब ब्याज भी ब्याज पर लगाया जाता है।
- प्रतिशत रिटर्न: प्रतिशत में लाभ
- यह उस लाभ को प्रतिशत में दर्शाता है जो निवेशक ने अपने निवेश पर कमाया है, जो आमतौर पर प्रारंभिक निवेश राशि के आधार पर गणना किया जाता है।
- रीयल रिटर्न: वास्तविक रिटर्न
- यह रिटर्न है जो महंगाई को ध्यान में रखते हुए होता है। यह दर्शाता है कि महंगाई के प्रभाव के बाद निवेश पर वास्तविक लाभ कितना हुआ है।
- एबसोल्यूट रिटर्न: पूर्ण लाभ
- यह निवेश पर वास्तविक लाभ या हानि को दर्शाता है, बिना किसी प्रतिशत या समय की गणना के। यह सीधा अंतर होता है प्रारंभिक राशि और अंतिम राशि के बीच।
- टोटल रिटर्न: कुल लाभ
- यह कुल लाभ या हानि को दर्शाता है जो निवेशक ने निवेश की पूरी अवधि के दौरान कमाया है, जिसमें मौजूदा मूल्य, लाभांश, ब्याज और अन्य सभी रिटर्न शामिल होते हैं ।
आइए स्लाइड्स में जानते हैं कि प्रत्येक विधि केअनुसार रिटर्न गणना कैसे करते हैं।
निष्कर्ष: तो हमने ऊपर स्लाइड में जाना कि (TYPES OF RETURN CALCULATION ON INVESTMENTS) निवेश पर रिटर्न की गणना की विधियाँ कौनसी हैं और उनमें रिटर्न कैसे कैल्कुलेट होता है। सबसे उपयुक्त विधि मेरी व्यक्तिगत राय के हिसाब से वह है जो मुद्रास्फीति दर को भी रिटर्न में शामिल करे। इस प्रकार, रियल रिटर्न मेथड सबसे उपयुक्त विधि है।
हमारे लेख का उद्देश्य:-
हमारे लेख का मुख्य उद्देश्य परंपरागत निवेशकों को जागरूक करना है ताकि वे जान सकें कि उनके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न मौजूदा महंगाई और अन्य वित्तीय तत्वों के हिसाब से सही है या नहीं। ताकि ऐसे निवेशक अपने निवेश निर्णयों को अधिक सोच-समझकर ले सकें और निवेश में संतुलन से अधिक लाभ प्राप्त कर सकें तथा अपनी वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकें।
धन्यवाद आपने पढ़ने के लिए जो समय दिया। आशा है यह मेरा प्रयास आपको पसंद आएगा। ऐसे लेख पढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहिए।
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