CYBER FRAUDS AND YOUR EMOTIONS

CYBER FRAUDS ( धोखाधड़ी)का कारण कहीं आपकी भावनाएं तो नहीं हैं?

इंसान और मशीन में केवल अंतर भावनाओं का है। और अपनी इन्हीं भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके साइबर क्रिमिनल या अन्य अपराधी हम लोगों को नुकसान पहुँचाते हैं। आइए जानते हैं कैसे आपकीभावनाओं का उपयोग करके आपके साथ ( CYBER FRAUDS ठगी की जाती है।

वित्तीय धोखाधड़ी या अन्य अपराध के मूल कारण में आमतौर पर कुछ महत्वपूर्ण भावनाएं होती हैं जिसमें आपका लालच, भय, प्रेम, दया जैसे भाव जुड़े हुए हैं, और भावनाओं के बारे में मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब भावनाएँ किसी इंसान पर हावी होती हैं, तो उसकी सोचने-समझने और सही निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित हो जाती है। ऐसा आपने भी दैनिक जीवन में महसूस किया होगा।

आर्थिक या साइबर धोखाधड़ी में इंसानी भावनाओं का दुरुपयोग कैसे किया जाता है, इसको हम बिंदुवार समझते हैं।

1. लालच

greed and cyber frauds

लालच वित्तीय अपराध की सबसे सामान्य और प्रभावी प्रवृत्तियों में से एक है।आपने देखा होगा कि जब किसी व्यक्ति के पास कोई कॉल आता है , मैसेज आता है, या ईमेल आता है, जिसमें लिखा होता है,या बताया जाता है कि आपकी 25 लाख की लॉटरी लग गई है।

अगर आप लॉटरी की राशि को प्राप्त करना चाहते हैं तो दिए गए निर्देशों का पालन करें। इस पूरी स्थिति में हमारे मन में लालच का भाव जाग्रत हो जाता है।और जब इमोशन ट्रिगर होता है तो इंसान के सोचने-समझने की शक्ति समाप्त या कम हो जाती है।और आप आसानी से धोखाधड़ी के जाल में फंस जाते हैं और अपनी गोपनीय आर्थिक जानकारी देकर अपना आर्थिक नुकसान करवा लेते हैं।

लालच से जुड़ी धोखाधड़ी से बचने के उपाय:-

जहाँ भी आपको अत्यधिक लालच दिया जा रहा हो, तुरंत सावधान हो जाएँ। कहावत है,”लालच बुरी बला है।” अगर कोई आपको पैसे डबल करने या लॉटरी जैसे लालच देता है, तो उससे दूर रहें। अपने लालच पर नियंत्रण रखें, क्योंकि OTP की और अन्य गोपनीय जानकारी आप ही देते हैं। सरकार या पुलिस इसमें मदद नहीं कर सकती।

सावधानी से निर्णय लें: किसी भी प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करें और उसकी प्रामाणिकता की जांच करें।

2. डर

fear

CYBER FRUDS डर भी एक प्रमुख भावनात्मक कारक है जिसका उपयोग अपराधी करते हैं। कभी-कभी आपको एक संदेश प्राप्त हो सकता है जिसमें कहा जाता है कि आपके या आपके परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज हो गया है।

या आपको किसी वीडियो को वायरल करने की धमकी देकर डराया जाता है। और मामले को रफा-दफा करने के लिए पैसे की मांग करते हैं। आपका डर आपको अपराधी की बात मानने पर मजबूर कर देता है। आप अनजाने में अपराधी की बात मान लेते हैं। अपनी गोपनीय जानकारी अपराधी के साथ शेयर करके अपना आर्थिक नुकसान करवा लेते हैं।

बचाव के तरीके:

संदेश की सत्यता की जांच करें: किसी भी धमकी भरे संदेश का तुरंत उत्तर न दें। संबंधित संस्था से संपर्क करके सत्यता की पुष्टि करें।

स्वतंत्र रूप से निर्णय लें:डर के कारण जल्दी में कोई निर्णय न लें, हमेशा शांत दिमाग से सोचें।

इसकी रिपोर्ट तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन पर कराएँ।

और महत्वपूर्ण जानकारी: मैं शेयर कर रहा हूँ जहां आपको कोई अपराधी सरकारी अधिकारी या पुलिस अधिकारी बनकर आपसे पैसे की मांग करता है, तो यह जान लें कि भारत में ऐसा कार्य यदि वास्तव में सरकारी कर्मचारी या अधिकारी द्वारा किया जाता है, तो वह भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आता है, जिसमें ऐसे कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसलिए सरकारी कर्मचारी या अधिकारी ऐसा बिल्कुल नहीं करेगा।

3. दया
kindness

(CYBER FRUDS)दया का उपयोग भी धोखाधड़ी में किया जाता है। अपराधी अक्सर इस भावना का इस्तेमाल कर भीख मांगने या क्राउडफंडिंग के जरिए पैसे उगाहने के लिए करते हैं।

वे किसी गंभीर बीमारी के नाम पर या फेसबुक आईडी को हैक करके अपराधी आपके दोस्त के रूप में खुद को किसी परेशानी में बताकर पैसे की मांग करते है या यहाँ दया भावना का उपयोग करके ठगी की जाती है।

बचाव के तरीके:

सत्यापन करें: किसी भी दान या पैसे के लेन-देन से पहले पूरी तरह से सत्यापन करें। वीडियो कॉल या विश्वसनीय संस्थाओं से पुष्टि करें।

क्राउडफंडिंग की जांच करें: किसी भी क्राउडफंडिंग अभियान की वैधता की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वह वास्तविक है।(हालांकि क्राउड फंडिंग एक अच्छी प्रक्रिया है जिसमें वास्तव में किसी की मदद की जाती है, इसके लिए मैं अलग से एक लेख लिखूंगा जिसमें आप इसका सही जानकारी और उपयोग समझ सकेंगे।)

निष्कर्ष

इन भावनाओं के चलते वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार होना बहुत आसान हो सकता है। इसलिए इन भावनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए आपको अपनी मानसिक स्थिति को मजबूत करना होगा। समाचार पत्र, ब्लॉग्स और विशेषज्ञों से जानकारी प्राप्त करके आप अपनी मानसिकता को मजबूत कर सकते हैं और वित्तीय धोखाधड़ी से बच सकते हैं।

लेखक: मुकेश खारवाल (गेस्ट राइटर)

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top